
डॉ. सरिता राणा, विशेषज्ञ मैनेजमेंट- एचआर**
सतना: अभी तक जिस एमएसडब्ल्यू (मास्टर ऑफ सोशल वर्क) कोर्स को बहुत ज्यादा महत्व सरकार ने प्राथमिकता दी है जॉब के मालमे में अब वही कोर्स एमबीए, एमसीए जैसे कोर्स से बहुत आगे निकल चुका है। एमएसडब्ल्यू की डिग्री के बाद छात्रों के पास गवर्नमेंट और प्राइवेट दोनों सेक्टर में जॉब की संभावनाएं हैं। मंत्रालयों में प्रशासनिक, प्रबंधन नीति नियोजन पदों पर सीधे प्रैक्टिस में भी जा सकते हैं। औद्योगिक तथा वाणिज्यिक इकाइयां भी एमएसडब्ल्यू डिग्री के पास आउट छात्रों को अच्छे जॉब दे रही हैं। खास बात यह है कि इन छात्रों को औसत जॉब पैकेज ढाई से तीन लाख रुपए तक मिलता था जो अब चार लाख पार हो चुका है। अधिकतम पैकेज में भी बढ़ोतरी हुई है। छात्र सरकारी मदद से खुद का एनजीओ या स्टार्टअप भी शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा टीचिंग में भी अवसर बढ़े हैं। अनुसंधान अधिकारी, अनुसंधानकर्ता, बाल एवं युवा, महिला विकास, श्रम विभाग में कल्याण विकास अधिकारी के पदों पर भी एमएसडब्ल्यू डिग्री को महत्व दिया जा रहा है। इसके अलावा सामुदायिक विकास अधिकारी, नगर नियोजक, परियोजना निदेशक, जिला कार्यक्रम समन्वयक, उद्योग क्षेत्र, कार्पोरेट और मानसिक अस्पतालों में भी जॉब के नए अवसर हैं। निजी सेक्टर में मानसिक चिकित्सालयों में भी एमएसडब्ल्यू पास आउट छात्रों की डिमांड है। बीएसडब्ल्यू या सोशल वर्क में बीए, जो कि तीन साल का कोर्स है। इस कोर्स के लिए बारहवीं पास होना जरूरी है। एमएसडब्ल्यू या सोशल वर्क में एमए, यह दो साल का कोर्स है। इसके लिए स्नातक डिग्री होना जरूरी है। इन कोर्स के साथ ही आप इस क्षेत्र में एमफिल या पीएचडी भी कर सकते हैं।